तकनीकी विश्लेषण और मौलिक विश्लेषण के बीच अंतर
तकनीकी विश्लेषण का उपयोग कैसे करें
तकनीकी विश्लेषण के लाभ और हानियाँ
तकनीकी विश्लेषण कीमत का पूर्वानुमान निकालने का एक तरीका है, जिसमें चार्ट पर पैटर्न की पहचान की जाती है। विश्लेषक सपोर्ट और रेजिस्टेंस के स्तरों, ब्रेकआउट्स और ब्रेकडाउन, ट्रेंड्स, और ट्रेडिंग रेंज की पहचान करने के लिए विभिन्न टूल्स का उपयोग करते हैं। तकनीकी विश्लेषण की बुनियादी जानकारी के साथ आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उसके महत्वपूर्ण तत्वों को खुद की डिज़ाइन की गई रणनीति में कैसे लागू किया जा सकता है।
तकनीकी विश्लेषण एक ऐसा तरीका है, जो समय के साथ किसी एसेट की कीमत में बदलाव को ट्रैक करता है। कीमतों की पिछली चालों की जाँच करके, यह ट्रेडरों को बाय या सेल करने के लिए सर्वश्रेष्ठ समय चुनने की अनुमति देता है। यहाँ तकनीकी विश्लेषण के आवश्यक तत्व बताए गए हैं:तकनीकी विश्लेषण क्या है?
श्रेणी मौलिक विश्लेषण तकनीकी विश्लेषण केंद्रित मौलिक विश्लेषण इस बात पर केंद्रित है कि एक देश कितनी वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करता है (GDP), कितने लोगों के पास नौकरियाँ हैं (रोजगार के आंकड़े), और कीमतें कितनी तेजी से बढ़ रही हैं (मुद्रास्फीति)। यह इस बात पर भी विचार करता है कि सरकार और केंद्रीय बैंक क्या कर रहे हैं और यह दुनियाभर में होने वाली कोई भी बड़ी खबर या घटनाक्रमों की भी जानकारी देता है। तकनीकी विश्लेषण यह देखने के लिए चार्ट का उपयोग करता है कि समय के साथ करेंसी जोड़ी की कीमतें कैसे बढ़ी हैं। यह आकार या ट्रेंड जैसे दोहराए जाने वाले पैटर्न्स की तलाश करता है, जो यह अनुमान लगाने में मदद कर सकता है कि कीमतें आगे कहाँ जा सकती हैं। उद्देश्य उपरोक्त कारकों के आधार पर, मुख्य विचार यह निर्धारित करना है कि क्या कोई करेंसी बहुत महंगी (ओवरवैल्यूड) है या बहुत सस्ती (अंडरवैल्यूड) है। प्राथमिक उद्देश्य यह अनुमान लगाना है कि अतीत में कीमत क्या हुई है और उसके आधार पर भविष्य में कीमत कहाँ जाएगी। यह इस बात पर ध्यान केंद्रित नहीं करता कि कीमत क्यों बदलती है, केवल इसी पर ध्यान केंद्रित करता है। शॉर्ट से मध्यम अवधि का दृश्य जो ट्रेडर्स दीर्घकालिक सोच रखते हैं, वे इस प्रकार के विश्लेषण का उपयोग करते हैं। आर्थिक बदलाव रातोरात नहीं होते; उनमे समय लगता है, अक्सर महीनों या वर्षों तक का समय। इस पद्धति का उपयोग अक्सर उन ट्रेडरों द्वारा किया जाता है, जो तुरंत ट्रेड करना चाहते हैं, आमतौर पर कुछ मिनटों, घंटों या, कुछ मामलों में, दिनों में। वे दीर्घकालिक आर्थिक कारकों की तुलना में कीमतों की अल्पकालिक चालों की अधिक परवाह करते हैं। उदाहरण यदि ट्रेडरों को लगता है कि किसी देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है, तो वे उस देश की करेंसी अभी खरीद सकते हैं क्योंकि उनका मानना है कि भविष्य में इसकी कीमत अधिक बढ़ेगी। किसी करेंसी को कब खरीदना या बेचना है, यह तय करने के लिए तकनीकी विश्लेषक विशेष टूल्स और पैटर्न्स का उपयोग करते हैं, जैसे कि हेड एंड शोल्डर्स (चार्ट पर एक विशिष्ट आकार) या मूविंग एवरेज (जो कीमतों में आने वाले बदलावों को अच्छी तरह दिखाता है)। इस लेख में मौलिक विश्लेषण के बारे में अधिक पढ़ें: 'मौलिक विश्लेषण और आर्थिक इंडिकेटर्स'।तकनीकी विश्लेषण और मौलिक विश्लेषण के बीच अंतर
तकनीकी विश्लेषण की प्रमुख धारणाएँ: सब कुछ कीमत में है। तकनीकी विश्लेषकों का मानना है कि किसी एसेट के बारे में सभी आवश्यक जानकारी पहले से ही उसकी कीमत और ट्रेडिंग वॉल्यूम (उसे कितना ट्रेड किया जा रहा है) में प्रतिबिंबित होती है। इसलिए, समाचार या कंपनी के बुनियादी सिद्धांतों के बारे में चिंता करने के बजाय, वे संख्याओं और चार्टों को देखते हैं। कीमतें ट्रेंड्स को फॉलो करती हैं। ट्रेडरों का मानना है कि कीमतें आमतौर पर पैटर्न्स में चलती हैं, जैसे कि ऊपर जाना, नीचे जाना या समान रहना। उनका लक्ष्य इन ट्रेंड्स को पहचानना और उनके अनुरूप ट्रेड करना है। इतिहास खुद को दोहराता है। लोगों का मानना है कि पिछले घटनाक्रम यह अनुमान लगाने में मदद कर सकते हैं कि आगे क्या हो सकता है। वे कीमतों की पिछली चालों और पैटर्न्स को देखकर भविष्य की कीमतों की भविष्यवाणी करने का प्रयास करते हैं। भावनाएँ मायने रखती हैं। तकनीकी विश्लेषकों का मानना है कि डर और उत्तेजना जैसी भावनाएँ लोगों के खरीदने और बेचने के तरीके को प्रभावित करती हैं। ये भावनाएँ मार्केट में ऐसे पैटर्न्स बना सकती हैं, जिनका उपयोग लोग अपने लाभ के लिए कर सकते हैं। मार्केट तुरंत प्रतिक्रिया करता है। ट्रेडरों का मानना है कि मार्केट आमतौर पर नई जानकारी पर तुरंत प्रतिक्रिया करता है, इसलिए लोगों को जो पता है, उसके आधार पर कीमतें तेजी से बदलती हैं। ये सभी धारणाएँ ट्रेडरों को मार्केट में करेंसियाँ खरीदने या बेचने के लिए अच्छा समय खोजने के लिए विभिन्न टूल्स और तकनीकों का उपयोग करने में मदद करती हैं।तकनीकी विश्लेषण की धारणाएँ
पेशेवर विश्लेषक अक्सर रिसर्च के विभिन्न तरीकों के मिश्रण का उपयोग करते हैं, न कि केवल सामान्य ट्रेडरों की तरह मूल्य चार्ट को देखते हैं। वे मार्केट को बेहतर तरीके से समझने के लिए विभिन्न तरीकों को जोड़ते हैं। तकनीकी विश्लेषण का उपयोग किसी भी एसेट के लिए किया जा सकता है, जिसका खरीदा और बेचा जाने का इतिहास हो। यह फ़ॉरेक्स (विदेशी मुद्रा) जैसे तेजी से आगे बढ़ने वाले मार्केटों में विशेष रूप से लोकप्रिय है, जहाँ लोग विभिन्न करेंसियाँ ट्रेड करते हैं। तकनीकी विश्लेषण के पीछे मुख्य विचार यह अनुमान लगाना है कि किसी एसेट की कीमत कितनी उपलब्ध है (आपूर्ति) और कितने लोग इसे खरीदना चाहते हैं (मांग) के आधार पर कीमत कैसे बदलेगी। कुछ लोग इसे यह पता लगाने के रूप में सोचते हैं कि ये ताकतें कीमतों में आने वाले बदलावों में कैसे दिखाई देती हैं। जबकि अधिकांश ध्यान कीमत के बदलने पर होता है, कुछ विश्लेषक अन्य संख्याओं पर भी ध्यान देते हैं। उदाहरण के लिए, स्टॉक मार्केट में वे इस बात पर विचार कर सकते हैं कि कितने शेयरों का ट्रेड हो रहा है या कितने कॉन्ट्रैक्ट खुले हैं। यह अतिरिक्त जानकारी उन्हें बेहतर अनुमान लगाने में मदद करती है कि कीमतें आगे कहाँ जा सकती हैं। नीचे, हम तकनीकी विश्लेषण के प्रमुख इंस्ट्रूमेंटों पर विचार करेंगे। चार्ट एक ग्राफिक प्रतिरूप है कि निर्धारित टाइमफ्रेम के भीतर कीमत कैसे बदलती है। लगभग किसी भी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म में आपको कैंडलस्टिक, बार और लाइन चार्ट दिख जाएँगे। ये तीनों एक ही डेटा पर आधारित हैं, लेकिन अलग-अलग तरीकों से प्रदर्शित होते हैं।तकनीकी विश्लेषण का उपयोग कैसे करें
चार्ट्स
हालाँकि, ध्यान दें कि ऊपर वर्णित सभी चार्ट्स केवल बिड मूल्य को दिखाते हैं, और आपको यह पहचानने के लिए उन पर भरोसा नहीं करना चाहिए कि किसी भी समय आस्क मूल्य कहाँ था।
टाइमफ्रेम्स
टाइमफ्रेम दर्शाता है कि प्रत्येक कैंडलस्टिक या बार को पूरा करने में कितना समय लगता है और इसमें कितना डेटा शामिल है। उदाहरण के लिए, H1 टाइमफ्रेम दर्शाता है कि एक घंटे के भीतर बिड मूल्य में कितना उतार-चढ़ाव आया। आप अपने ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म में प्रत्येक चार्ट के लिए टाइमफ्रेम अनुकूलित कर सकते हैं।
सामान्य तौर पर, माना जाता है कि छोटे टाइमफ्रेम्स अधिक संकेत उत्पन्न करते हैं। हालाँकि, उनमें से एक बड़ा हिस्सा गलत होता है। इसके विपरीत, लंबे टाइमफ्रेम्स अपेक्षाकृत कम संकेत प्रदान कर सकते हैं, लेकिन ये किसी विशेष ट्रेंड के लिए मजबूत और अधिक महत्वपूर्ण होंगे।
जब आप समय अवधि बदलते हैं, तो वही मूल्य डेटा इस प्रकार से दिखता है:
ट्रेंड
उस ट्रेंड या दिशा की पहचान करना, जिसमें मार्केट चलता है, वह तकनीकी विश्लेषण की बुनियादी तकनीकों में से एक है। कभी-कभी, इसे केवल चार्ट को देखकर निर्धारित किया जा सकता है। अन्य मामलों में मूल्य डेटा के अधिक गहन विश्लेषण की आवश्यकता होती है।
मार्केट के ट्रेंड्स दो प्रमुख प्रकार के होते हैं:
- अपट्रेंड—बढ़ते उच्च और निम्न स्तरों की एक श्रृंखला;
- डाउनट्रेंड—चार्ट पर निम्न ऊँचाइयों और निम्न गिरावटों की एक श्रृंखला।
किसी विशेष दिशा की कमी को साइडवेज़ या हॉरिजॉन्टल ट्रेंड के रूप में जाना जाता है।
किसी ट्रेंड की पहचान करने के लिए, आप किसी चार्ट पर कीमतों की चाल की दिशा में एक सीधी रेखा खींच सकते हैं। ट्रेंड लाइनें लगभग हर ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं और इसे बिगिनर्स के लिए अनुकूल तकनीकी विश्लेषण टूल्स में से एक माना जा सकता है। तकनीकी इंडिकेटर एक दूसरा विकल्प है, जो चार्ट में जोड़े जाने पर एक ट्रेंड निर्धारित और प्रदर्शित कर सकता है।
सपोर्ट और रेजिस्टेंस
सपोर्ट और रेजिस्टेंस स्तर खोजने से यह निर्धारित करने की अनुमति मिलती है कि कब और किस दिशा में पोजीशन खोली जानी चाहिए और संभावित लाभ या हानि क्या हो सकती है। सपोर्ट कीमत का वह स्तर है, जिस पर किसी एसेट को नीचे जाने में कठिनाई होती है, और रेजिस्टेंस उस स्तर को दर्शाता है, जिस पर जोड़ी को ऊपर उठने में कठिनाई होती है। हालाँकि, ये स्तर हमेशा कायम नहीं रहते, और ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन कभी-कभी एक दिशा या किसी अन्य दिशा में होते हैं।
सपोर्ट और रेजिस्टेंस स्तर एक ट्रेडिंग रेंज बनाते हैं—एक हॉरिजॉन्टल गलियारा, जिसमें एक टाइमफ्रेम के भीतर कीमत में उतार-चढ़ाव होता है।
रेजिस्टेंस के पहचाने गए स्तर के ज़रिये कीमत के मूवमेंट को ब्रेकआउट कहा जाता है। इसके बेयरिश समकक्ष को ब्रेकडाउन कहा जाता है—सपोर्ट के पहचाने गए स्तर के ज़रिये कीमत का मूवमेंट। ब्रेकआउट और ब्रेकडाउन, दोनों के बाद आमतौर पर अस्थिरता में वृद्धि होती है।
सपोर्ट और रेजिस्टेंस की पहचान करने के लिए, आप उन स्तरों को चिंहित कर सकते हैं, जहाँ अतीत में कीमत को ऊपर उठने और नीचे गिरने में कठिनाई हुई थी। विभिन्न तकनीकी इंडिकेटर्स (यानि कि फ़िबोनाकि या पिवट पॉइंट्स) स्वचालित रूप से चार्ट पर स्तर निर्धारित और खींच सकते हैं।
चार्ट पैटर्न्स
चार्ट पैटर्न एक विशिष्ट संरचना है, जो भविष्य की कीमत की चाल की भविष्यवाणी करता है या खरीदने या बेचने का संकेत बनाता है। इसके पीछे का सिद्धांत इस धारणा पर आधारित है कि पहले देखे गए कुछ पैटर्न्स यह दर्शाते हैं कि कीमत वर्तमान में किस ओर जा रही है।
- हेड एंड शोल्डर्स को सबसे विश्वसनीय चार्ट पैटर्न में से एक माना जाता है, जो दर्शाता है कि ट्रेंड बदलने वाला है। इस पैटर्न के दो प्रकार हैं—हेड एंड शोल्डर्स टॉप, जो दर्शाता है कि ऊपरी मूवमेंट जल्द ही समाप्त हो सकता है और हेड एंड शोल्डर्स बॉटम, जिसका मतलब है कि डाउनट्रेंड उलटने वाला है।
- Doji एक छोटी बॉडी वाली कैंडलस्टिक है (जिसका अर्थ है कि कैंडलस्टिक लगभग एक ही कीमत पर खुली और बंद हुई) और दोनों तरफ अपेक्षाकृत लंबी विक्स होती हैं, जो एक टाइमफ्रेम के दौरान मार्केट में अस्थिरता को दर्शाती हैं। Doji आमतौर पर मार्केट के अनिर्णय की प्रतीक है क्योंकि इस दौरान बुलिश और बेयरिश ट्रेंड प्रबल नहीं होता।
- बुलिश हैमर एक कैंडलस्टिक है, जो आमतौर पर डाउनट्रेंड के मोड़ पर उत्पन्न होती है। इस कैंडलस्टिक में बॉडी से दुगनी लंबी इसकी विक्स होनी चाहिए।
- हैंगिंग मैन बुलिश हैमर का बेयरिश रूप है, जिसकी बॉडी छोटी और विक्स लंबी होती है और आमतौर पर यह अपट्रेंड के उलटने से पहले देखी जाती है।
- ट्रायंगल एक अन्य लोकप्रिय चार्ट पैटर्न है। ट्रायंगल तीन प्रकार के होते हैं: सिमेट्रिकल, असेंडिंग और डिसेंडिंग। सिमेट्रिकल ट्रायंगल एक पैटर्न है, जहाँ दो ट्रेंड रेखाएँ एक बिंदु पर मिलती हैं, और उनमें से कोई भी सपाट नहीं होती। यह पैटर्न आमतौर पर वर्तमान ट्रेंड की दिशा की पुष्टि करता है। असेंडिंग ट्रायंगल में, ऊपरी ट्रेंडलाइन सपाट होती है, और निचली ट्रेंडलाइन ऊपर की ओर होती है। इस पैटर्न को बुलिश कहा जाता है और यह ब्रेकआउट की भविष्यवाणी कर सकता है। डिसेंडिंग ट्रायंगल में एक सपाट निचली रेखा होती है, और ऊपरी ट्रेंड रेखा नीचे की ओर होती है। यह एक बेयरिश पैटर्न है, जो आगामी ब्रेकडाउन का संकेत देता है।
इंडिकेटर्स
एक ऐसा टूल, जो ट्रेंड्स, पैटर्न्स, सपोर्ट और रेजिस्टेंस स्तरों की भविष्यवाणी या पुष्टि करने या खरीदने और बेचने का संकेत देता है, उसे तकनीकी इंडिकेटर कहते हैं। यह विशेष रूप से आपके ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के लिए विकसित किया गया एक सॉफ्टवेयर है, जो कीमतों की चालों और अस्थिरता के आधार पर गणना करता है। OctaTrader और MT4 या MT5 दोनों में आसानी से उपलब्ध इंडिकेटरों की एक विस्तृत श्रृंखला है, हालाँकि, आप हमेशा एक कस्टम इंडिकेटर डाउनलोड कर सकते हैं या इसे खुद से भी बना सकते हैं।
बस मूल्य चार्ट में एक इंडिकेटर जोड़ने से मौजूदा मार्केट स्थिति के बारे में आपकी समझ काफी बढ़ सकती है और आपको यह तय करने में मदद मिल सकती है कि आपको किस दिशा में ट्रेडिंग करनी चाहिए। उदाहरण के लिए, फ़िबोनाकि या पिवट पॉइंट्स जैसे इंडिकेटर्स सपोर्ट और रेजिस्टेंस स्तरों की पहचान करने में काम आ सकते हैं। मोमेंटम इंडिकेटर आपको कीमत में आने वाले बदलावों की दर को मापने में मदद करेंगे और ज़िग ज़ैग का उपयोग यह अनुमान लगाने के लिए किया जा सकता है कि ट्रेंड के उलटने की अधिक संभावना कब होगी।
इंडिकेटर कैसे इंस्टॉल और अनुकूलित किए जा सकते हैं, इसके बारे में अधिक जानने के लिए कृपया हमारे मैनुअल सेक्शन में MT4 या MT5 के लिए निर्देश देखें।
यहाँ तकनीकी विश्लेषण के फायदे हैं: मार्केट के ट्रेंड का विश्लेषण। तकनीकी विश्लेषण ट्रेडरों को यह समझने में मदद करता है कि पिछली कीमतों और ट्रेडिंग वॉल्यूम को देखकर मार्केट कैसे चलता है। वे ट्रेंड्स का पता लगा सकते हैं, जैसे कि कीमतें कब बढ़ती हैं (अपट्रेंड) या नीचे जाती हैं (डाउनट्रेंड)। यदि कीमतें दिशा बदलने लगती हैं, तो इसे उलटाव या रिवर्सल कहा जाता है। विश्वसनीय इंडिकेटर्स। तकनीकी विश्लेषण में विशेष टूल्स, जैसे कि मूविंग एवरेज और RSI (रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स) ट्रेडरों को यह पता लगाने में मदद करते हैं कि कब खरीदना है या कब बेचना है। उदाहरण के लिए, यदि MACD एक क्रॉसओवर दिखाता है, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि ट्रेड करने का समय आ गया है। एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स। यह तरीका ट्रेडरों को किसी ट्रेंड में प्रवेश करने या प्रॉफिट कमाने के बाद बाहर निकलने के लिए अच्छा समय ढूंढने की अनुमति देता है। वे कीमत के कुछ निश्चित स्तरों की तलाश करते हैं, जहाँ उन्हें लगता है कि ट्रेंड बदल जाएगा, जैसे रेजिस्टेंस स्तर को तोड़ना। विविध विश्लेषणात्मक विकल्प। तकनीकी विश्लेषण कई टूल्स प्रदान करता है ताकि ट्रेडर्स वह चुन सकें, जो उनके लिए सबसे अच्छा काम करता है। कुछ लोग छोटे टाइमफ्रेम्स का उपयोग करके तुरंत ट्रेड करना पसंद करते हैं, जबकि अन्य लंबी अवधि के ट्रेंड्स को देखना पसंद करते हैं। लक्ष्य निर्धारण और जोखिम प्रबंधन। ट्रेडर्स यह सीमित कर सकते हैं कि वे कितना नुकसान उठाने को तैयार हैं (स्टॉप-लॉस स्तर) और यह तय कर सकते हैं कि प्रॉफिट कब लेना है। इससे उन्हें जोखिम प्रबंधन करने और यह जानने में मदद मिलती है कि किसी ट्रेड से कब बाहर निकलना है। मार्केट के मनोविज्ञान को समझना। यह विश्लेषण यह भी देखता है कि भय और लालच जैसी भावनाएँ कीमतों को कैसे प्रभावित कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, यदि कीमतें तेजी से बढ़ती हैं, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि लोग लालची हो रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप जल्द ही गिरावट आ सकती है। प्रारंभिक सिग्नल का पता लगाना। कीमत के ट्रेंड्स पर बारीकी से नज़र रखकर, ट्रेडर्स ज्यादातर लोगों से पहले बदलाव का पता लगा सकते हैं। यदि उन्हें ऐसे संकेत दिखते हैं कि ट्रेंड बदल जाएगा, तो वे जल्दी ही इसमें प्रवेश कर सकते हैं और संभावित रूप से अधिक पैसा कमा सकते हैं। तकनीकी विश्लेषण के नुकसान निम्नलिखित हैं: आर्थिक और राजनीतिक कारकों की अनदेखी। फ़ॉरेक्स में तकनीकी विश्लेषण मुख्य रूप से कीमत और वॉल्यूम के डेटा पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें महत्वपूर्ण आर्थिक और राजनीतिक घटनाक्रमों की अनदेखी की जाती है, जो करेंसी की वैल्यू को प्रभावित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, चार्ट पर किसी करेंसी का मूल्यांकन कम हो सकता है, लेकिन ब्याज दर में बदलाव या राजनीतिक अस्थिरता जैसी अप्रत्याशित खबरें तकनीकी संकेतों की परवाह किए बिना इसकी कीमत में अधिक गिरावट पैदा कर सकती हैं। एक ही पैटर्न की अलग-अलग व्याख्याएँ। विश्लेषक चार्ट की अलग-अलग व्याख्या कर सकते हैं, जो भ्रमित करने वाला हो सकता है। कोई सोच सकता है कि इस पैटर्न का मतलब खरीदना है, जबकि कोई सोचता है कि इसका मतलब बेचना है। केवल एक व्यक्ति पर भरोसा करने के बजाय कई लोगों की राय लेना आवश्यक है। धीमी प्रतिक्रियाएँ। तकनीकी इंडिकेटर्स अक्सर पिछले डेटा पर भरोसा करते हैं, इसलिए जब ट्रेंड बदल रहे हों, तो वे धीमी गति से चीज़ें दिखा सकते हैं। जब आप खरीदने या बेचने का संकेत देखते हैं, तो शायद सबसे अच्छा अवसर पहले ही जा चुका होता है। उदाहरण के लिए, कुछ इंडिकेटर्स आपको बहुत देर से कार्यवाही करने के लिए कह सकते हैं, जिससे आप मौका चूक सकते हैं या पैसा भी खो सकते हैं। गलत संकेत। कभीकभार, तकनीकी विश्लेषण ऐसे संकेत देता है, जो सच नहीं होते। एक पैटर्न यह सुझाव दे सकता है कि कीमत बढ़ेगी, लेकिन इसके बजाय कीमत नीचे चली जाती है। यह उन ट्रेडरों के लिए निराशाजनक हो सकता है, जिन्होंने संकेतों को फॉलो किया है। व्यक्ति-निष्ठ व्याख्याएँ। क्योंकि तकनीकी विश्लेषण पैटर्न्स और चार्ट्स पर निर्भर करता है, इसलिए विभिन्न विश्लेषक मार्केट में क्या चल रहा है, उसके बारे में अलग-अलग निष्कर्ष निकाल सकते हैं। जो चीज़ एक व्यक्ति को खरीदारी का अच्छा अवसर लगती है, वह दूसरे को ख़राब विचार लग सकती है। अतीत हमेशा भविष्य की भविष्यवाणी नहीं करता। सिर्फ़ इसलिए कि कोई ट्रेंड अतीत में काम किया था, इसका मतलब यह नहीं है कि वह फ़िर से काम करेगा। मार्केट लगातार बदलते रहते हैं, इसलिए ऐतिहासिक पैटर्न्स पर बहुत अधिक भरोसा करना जोखिम भरा हो सकता है। वर्षों पहले जिससे बात बन गई थी, ज़रूरी नहीं है कि वह आज भी काम करेगा।तकनीकी विश्लेषण के फ़ायदे और नुकसान
अंतिम विचार